कर सरकार के राजस्व के मुख्य स्त्रोत हैं। नागरिकों से कर वसूली की जाती है तथा सरकारदवारा जनता को सेवायें प्रदान करने के लिये उनका उपयोग किया जाता है। कुछ नागरिक उनके दवारा दिये जाने योग्य कर का भुगतान नहीं करते हैं(अर्थात वह कर अदायगी छिपाते हैं)। यह कर अपवंचक बहुत से गैर कानूनी तरीके अपनाकर कर चोरी करते हैं।
अपवंचन कर्ताओं दवारा कर अदायगी न किये जाने पर सरकार को राजस्व की हानी होती है । ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने तथा कर चोरी का पता लगाने के लिये सरकार जनता की सहायता लेती है। इस संबंध में सरकार ने “मुखबिरों” को जो करचोरी का पता लगाने में सहायता करते हैं, उन्हें पुरस्कार देने की योजना बनाई है।
यह योजना केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में भी लागू है तथा कर अपवंचकों के संबंध में ठोस सूचना देने वाले “मुखबिरों” को रिवार्ड दिये जाते हैं। आम लोगों में से जो केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अपवंचन के संबंध में सूचना देना चाहते हों उनके लिये स्थानीय केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिकारियों से सम्पर्क करके गोपनीय तरीके से सूचना प्रदान करनें की सुविधा है। जो केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अपवंचन का पता लगाने में सहायता कर्ना चाहते हैं उन “मुखबिरों” के लिये प्रश्नोतरी के रूप में कुछ मार्गदर्शन निम्नलिखित है :-
केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग के अधिकारियों के अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति जिसके पास कर चोरी के संबंध में अपेक्षित सूचना हो वह एक मुखबिर है।
जनता से प्राप्त कोई भी उपयोगी संदेश अथवा किसी भी व्यक्ति दवारा इस संबंध में कर चोरी की जालसाजी का पर्दाफाश करना एक सूचना होती है। यह संदेश आधारित है जिस पर विभाग के अधिकारी आगे जांच व छानबीन करतें हैं।
कोई भी व्यक्ति जो विनिर्माण इकाईयों की अवैध गतिविधियों की जानकारी रखता हो या कोई भी केन्द्रीय उत्पाद शुल्क करदाता सूचना दे सकता है।
एक मुखबिर जिसके पास सूचना हो केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग से सम्पर्क कर सकता है तथा निरीक्षक तथा उससे उपर की श्रेणी के किसी भी अधिकारी को सूचना प्रदान कर सकता है।
कोई भी सूचना विभागाध्यक्ष को संबोधित करते हुये लिखित रूप में दी जाये जिसमे सूचना देने वाले के बायें हाथ के अंगूठे के निशान सहित उसके हस्ताक्षर होने चाहिये । मुखबिरों को कार्यालय में अधिकारियों से मिलने या दोनों के सुविधा के अनुसार कार्यालय के बाहर भी सूचना प्रदान करने के लिये मिलने की सुविधा है।
सूचना में कर चोरी की जानकारी का ब्यौरा जैसे कि यूनिट का नाम व पता, कर चोरी के लिये अपनाया गया तरीका तथा उसके लिये जिम्मेवार व्यक्ति तथा कर चोरी से संबंधित अन्य संगत ब्योरे होने चाहिये।
केन्द्रीय उत्पाद शुल्क पंजीकरण कराये बिना ही उत्पाद शुल्क योग्य माल का निर्माण और निकासी/ उत्पाद कोछिपाना(अर्थात रिकार्ड में उचित तरीके से लेखा-जोखा न रखकर उन वस्तुओं का विनिर्माण करना), गलत घोषणा/उत्पाद का कम मूल्यांकन (अर्थात मरम्मत करना दिखाकर विनिर्माण करना आदि/बीजक में घोषित मूल्य से अधिक मुल्य में माल बेचना) चोरी-छिपे निकासी अर्थात माल का लेखा जोखा न रखते हुये तथा उत्पाद शुल्क के अदायगी किये बिना ही माल की निकासी)।यहां तक कि जो ट्रांसपोर्टर ऐसे लेखा जोखा रहित माल का भण्डारण करता है वह भी कार्रवाई किये जाने योग्य है।
विभाग सूचना स्वीकार करता है। विभागीय अधिकारी मुखबिरों तथा सूचना के स्त्रोत की गोपनीयता बनाये रखने को बाध्य हैं। मुखबिर का नाम व पता गोपनीय रखा जाता है।
यदि दी गई सूचना सही है तो मुखबिर को नकद पुरस्कार दिया जाता है तथा कर-दाता से अदा किये जाने वाला शुल्क वसूला जाता है।
पता लगाये गये तथा वसूले गये शुल्क की राशि का 20 प्रतिशत तक की राशि पुरस्कार योग्य है।
11. झूठी सूचना देने की सजा क्या है ?
यदि विभाग को कोई झूठी सूचना दी जाती है तो मुखबिर के विरूद कानूनी कारवाई की जा सकती है।
सीमा शुल्क, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क या सेवाकर अपवंचन के संबंध में हमे सूचना उपलब्ध करायें। आपके दवारा दी गई मूल्यवान सूचना कर चोरी रोकने में सहायक होगी। आपको संलिप्त उत्पाद शुल्क राशि का 20 प्रतिशत तक पुरस्कार दिया जायेगा जो आयकर से छूट प्राप्त है। यदि आपके पास कोई सूचना हो तो निम्नलिखित किसी भी अधिकारी से सम्पर्क करें। आपका नाम तथा सूचना पूरी तरह गुप्त रखी जायेगी।
नाम सर्व/श्री ) | पद नाम | दूरभाष संख्या | फैक्स संख्या |
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के.जे चौधरी | प्रधान आयुक्त | 0172-2721602 | 0172-2721607 |
एच.बी नेगी | अपर आयुक्त | 0172-2703488 | 0172-2544075 |
पुरस्कार योजना वसूली मामलों के मामलों तक बढाई गई है । वसूले गये शुल्क राशि के पांच प्रतिशत तक का उपयुक्त पुरस्कार किसी भी मुखबिर को दिया जा सकता है जो ऐसे व्यक्तियों के जिनसे सीमा शुल्क अधिनियम,1962 केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम 1944 या सेवा कर अधिनियम,1994 के अंतर्गत वसूली योग्य शुल्क का बकाया,कर,जुर्माना पेनाल्टी आदि वसूली जानी है ऐसे व्यक्तियों या कम्पनियों के पते ठिकाने, परिसम्पतियां, चल-अचल सम्पतियों के संबंध में सूचना देता है।
पुरस्कार की मात्रा का निर्णय संबंधित मुख्य आयुक्त दवारा किया जायेगा।